Home दंत कथाएं Hazrat Gatte Wale Baba: दरगाह जहां हिंदू करते हैं पूजा, जिन्नो के बादशाह करते हैं लोगों की रक्षा

Hazrat Gatte Wale Baba: दरगाह जहां हिंदू करते हैं पूजा, जिन्नो के बादशाह करते हैं लोगों की रक्षा

by Local Patrakar
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Hazrat Gatte Wale Baba : दरगाह जहां हिंदू करते हैं पूजा, जिन्नो के बादशाह करते हैं लोगों की रक्षा

Hazrat Gatte Wale Baba –जयपुर दरगाह पर मुस्लिम से ज्यादा हिंदू दिखाई देते हैं।

हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है। यही वजह है कि यहां सभी धर्म के लोग एक साथ मिलजुल कर रहते हैं। यही नहीं सभी लोग एक दूसरे के धर्म की समान इज्जत करते हैं। जहां कुछ मुस्लिम समुदाय के लोगों की आस्था जयपुर के आराध्य देव गोविंद देव जी (ठाकुर जी) और अन्य भगवानों में है, तो वहीं कई हिंदू दरगाह में बच्चों के मुंडन और धार्मिक काम करते हैं। जयपुर में एक ऐसी जगह है, जहां दरगाह पर मुस्लिम से ज्यादा हिंदू दिखाई देते हैं। यह दरगाह जयपुर के बीचों-बीच टोंक पुलिया के पास में बनी हुई है, जिसे लोग गट्टे वाले बाबा की दरगाह कहते हैं।

यहाँ दिखती है गंगा यमुना की तहजीब

जयपुर में टोंक पुलिया स्थित हज़रत गट्टे वाले बाबा की मज़ार पर भी हिंदू-मुस्लिम एकता यानि गंगा- यमुना की तहजीब देखने को मिलती है। मज़ार पर मुस्लिम से ज्यादा हिंदू धर्म के लोग मत्था टेकते हुए नज़र आते हैं। उनका कहना है कि जहाँ मन्नत पूरी हो जाये, वहां से आस्था जुड़ जाती है। वहीं मुस्लिम मज़हब से जुड़े लोग भी हिन्दुओं के साथ खुशी से मिलकर मज़ार पर सज़दा करते दिखाई देते हैं। विशेषकर गुरूवार को यहाँ दूर दराज़ से काफी भक्त आते हैं।

Hazrat Gatte Wale Baba : दरगाह जहां हिंदू करते हैं पूजा, जिन्नो के बादशाह करते हैं लोगों की रक्षा

500 साल पुराना है इतिहास

माना जाता है कि हज़रत गट्टे वाले बाबा अब से 500 साल पहले हज़ करके जयपुर की दिशा में चले थे और यहाँ आकर एक पीपल और नीम के पेड़ के नीचे खुद का ठिकाना बना लिया। जिसके बाद से पूरे इलाके में कोई हादसा या दुर्घटना नहीं हुई। यह बात जानकार कई धर्मो के लोग उनके पास ज्ञान लेने आते थे। धीरे धीरे यहाँ आने वाले लोगों के कष्ट, दुख-दर्द दूर होने लगे तो मान्यता और बढ़ गई।

गुलाब शाह बाबा से कैसे पड़ा गट्टे वाले बाबा नाम

इसका नाम हज़रत गुलाब शाह बाबा था, लेकिन गट्टे जैसा इनका चौबारा देखकर लोगों ने इनका नाम गट्टे वाले बाबा रख दिया। गट्टे वाले बाबा कि पूजा का विधान बेशक़ मज़ार कि तरह होता है, लेकिन यहाँ कव्वाली के साथ भगवान श्री राम और मीरा के भजन में भगवान श्याम का नाम भी सुना जाता है। यही नहीं उर्स के मेले में जितनी रौनक यहाँ होती है, उतनी ही शान ओ शौकत से यहाँ बसंत पंचमी और फागोत्सव मनाया जाता है। शायद यही वजह है कि मस्जिद की अज़ान सुनने वाले मुस्लिम भाई यहाँ आकर राधे-राधे बोलने से नहीं हिचकिचाते। कव्वाल गाने वाले भी मीरा के भजनों में श्याम मय हो जाते हैं।

जिन्न के बादशाह करते हैं घंटे वाले बाबा की रखवाली

गट्टे वाले बाबा की मज़ार के पास ही एक और मज़ार है, जिसे जिन्न बादशाह के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है कि जब गट्टे वाले बाबा यानी गुलाब शाह बाबा ने समाधि ली, तो उनकी समाधि की रक्षा करने के लिए जिन्नों के बादशाह ने भी यहां अपना डेरा जमा लिया। कहते हैं कि जिन्नों का बादशाह घोड़े पर सवार होकर आता है और जो लोग इन्हें मानते हैं उन्हें यहां घोड़ों के चलने की आवाज सुनाई देती है। यही जिन्नों के बादशाह टोंक रोड पर होने वाले अधिकांश दुर्घटनाओं को रोकते हैं और लोगों की रक्षा करते हैं।

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