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Nagraj : 30 हज़ार साँपों के बीच एक अकेली महिला मंदिर में पूजा अर्चना करती है।
सुनने में बेशक़ अजीब लगे, लेकिन ये सच है। केरल के मन्नारसाला में एक ऐसा ही मंदिर है, जहाँ नागों के राजा भगवान नागराज की पूजा होती है। मंदिर परिसर में लगभग 30,000 पत्थर के सांप की मूर्तियां और चित्र हैं, जिन्हें देखना ही अपने आप में एक अद्भुत और अविस्मरणीय अनुभव है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर तीन हजार साल पुराना है। इस मंदिर में नवविवाहित और निःसंतान दंपतियों के जाने की परंपरा है। यह दंपति मंदिर में जाकर नाग देवता से बच्चे की कामना करते हैं।
पुजारी परिवार की बहू करती है पूजा, ब्रह्मचर्य का करती है पालन
भगवान नागराज की पूजा पुजारी परिवार की सबसे बड़ी बहू करती है। खास बात ये है कि शादी होने के बाद भी ये ब्रह्मचर्य का पालन करती है। शादी होने के बाद पुजारी परिवार की बड़ी बहू पास वाले पुजारी परिवार के घर चली जाती है। इसके बाद उसे ही भगवान नागराज की पूजा के तौर तरीके सिखाए जाते हैं।
खांडव दहन के कारण यहाँ आ गये थे सभी साँप
महाभारत के समय अर्जुन ने खांडव वन को जलाया था। खांडव दहन का मुख्य कारण अग्नि देव की क्षुधा को शांत कराना था तथा दूसरा कारण खांडव वन को जलाकर वहाँ एक नई नगरी बसाना और देव इच्छा का होना बताया गया है।
इस वन दाह से अग्नि देव तृप्त हो गये और उनका रोग भी नष्ट हो गया। उसी समय इन्द्र, मरुद्गण आदि देवताओं के साथ प्रकट हुए और देवताओं के लिए भी जो कार्य कठिन है, उसे करने वाले अर्जुन – कृष्ण को उन्होंने वर भी दिये। इस दौरान वन जलने से भयभीत हो कर सभी साँप दक्षिण की ओर चले गये। केरल का मन्नारसाला वही स्थान है, जहाँ भगवान नागराज सहित 30 हज़ार साँपों ने शरण ली थी।